राज्य सरकार का कोर्ट में जवाब; वन और पशुपालन विभाग का सांभर झील से कोई लेना-देना ही नहीं है

सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट में कहा कि सांभर झील राज्य के वन व पशुपालन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं है और उनका झील से कोई संबंध नहीं है। इसके अलावा झील का क्षेत्र न तो वन विभाग का है और न यह संरक्षित क्षेत्र है। लेकिन फिर भी पक्षियों का रेस्क्यू आपरेशन जारी है। यह जवाब राज्य सरकार की ओर से न्याय मित्र ने पूर्व में पेश की गई मौका-मुआयना रिपोर्ट के जवाब में दिया गया। 


राज्य सरकार ने न्याय मित्र अधिवक्ता नितिन जैन के उस सुझाव पर सहमति दिखाई जिसमें पूरी झील और इसके आस-पास के एरिया को फॉरेस्ट लैंड घोषित कर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को सौंपने के लिए कहा था। लेकिन इससे पहले सरकार ने स्थानीय जनता से बात करने के लिए कहा। दरअसल न्याय मित्र ने 20 नवंबर को झील क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें बताया था कि झील के अंदरूनी क्षेत्र में पक्षियों के शव नहीं निकाले जा रहे और एजेंसियां एक दूसरे पर जिम्मेदार डाल रही हैं, जिससे पक्षियों के संरक्षण और बचाव का काम ठीक से नहीं हो पा रहा।